Man Made Barabar Caves (बराबर की गुफाएं)- in Bodh Gaya Bihar, India
नमस्कार दोस्तों।
आज के इस पोस्ट में मैं, एक ऐसी जगह के बारे में अपनी आंखों देखी चर्चा करने जा रहा हूं जो दुनियां भर में अपनी पहचान और आकर्षण के लिए विश्व प्रसिद्ध हैं। यह जगह प्राचीन इतिहास एवं पौराणिक मान्यताओं के कई सारे रहस्यों को समेटे हुए आज भी मौजूद है।
मगध की धरती पर प्राचीन काल से ही एक से बढ़कर एक धरोहर रहे हैं। इन्ही में से एक प्रमुख है बराबर की गुफाएं, जो प्राकृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों का अनुपम संगम है। बराबर की गुफाएं पहाड़ और जंगल के साथ ही औषधीय पौधे के लिए भी जाना जाता है, परंतु बराबर, दुनिया की एक मात्र मानव निर्मित गुफा के लिए मुख्य रूप से विश्व प्रसिद्ध है।
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बराबर की गुफाएं क्यों प्रसिद्ध है ?
यह दुनिया की एकमात्र मानव निर्मित प्राचीन गुफा है जिसे तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में पहाड़ के चट्टानों को काटकर बनाया गया था, जो कि दुनिया में गुफा निर्माण के प्राचीन वास्तु कला का आरंभिक उदाहरण है। गुफाओं के छत गुंबद नुमा और मुख्य द्वार पर जालीनुमा कलाकृति देखने को मिलती है जो कि आरंभिक वास्तु कला का प्रमाण है। बराबर की गुफाओं का संबंध बौद्ध, जैन आजीवक संप्रदाय से है। यह गुफा करीब ढाई वर्ष पुरानी है। इन गुफाओं को देखने के लिए देश - विदेश से काफी संख्या में हजारों टूरिस्ट आते हैं।
बराबर की गुफाएं कहां है?
ये गुफाएं भारत के बिहार राज्य के जहानाबाद जिले में भगवान बुद्ध की धरती बोध गया से लगभग 42 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। इन गुफाओं को पहाड़ के ग्रेनाइट चट्टानों को तरास कर बनाया गया है,जो की दुनियां की सबसे पुरानी एवं एक मात्र मानव निर्मित गुफाएं हैं। इनमें से अधिकांश गुफाओं का संबंध मौर्य काल (322-185 ईसा पूर्व) से है । इन गुफाओं में से कुछ गुफा में अशोक के शिलालेखों को आज भी हूबहू देखा जा सकता है।
कैसी है बराबर की गुफाओं के बनावट शैली?
- प्रत्येक गुफा में दो दो कक्ष मौजूद है। पहला कक्ष उपासकों के एकत्र होने के इरादे से आयताकार हॉल बनाया गया था और
- दूसरा एक छोटा, गोलाकार, गुम्बदयुक्त कक्ष पूजा के लिए, ध्यान लगाने के लिए या यूं कहें कि संतों को तपस्या करने की महत्वपूर्ण स्थान होता था।
ये भारत में चट्टानों को काटकर बनायी जाने वाली गुफाओं की वास्तुकला के सबसे आरंभिक उदाहरण हैं। बराबर पहाड़ियों में स्थित इन गुफाओं को सुदामा, कर्ण, लोमांस ऋषि और विश्व झोपड़ी के नाम से जाना जाता है। इन में से सुदामा और लोमांस ऋषि की गुफाएँ चैत्य के सभागृह हैं और कर्ण की गुफा एक आवास गृह है।
बराबर की गुफाएं किसने बनवाई?
- बराबर की इन गुफाओं में मौर्य काल में निर्मित वास्तुकला संबंधी विवरण मौजूद हैं ।
- मौर्य कालिन स्थापत्य तथा मूर्ति कला में हाथियों का प्रचुर अंकन देखा जा सकता है।
- बराबर की गुफाओं में से लोमस ऋषि गुफा के मुख्य द्वार पर भी हाथियों का अंकन देखने को मिलता है जिससे यह निश्चित तौर पर कहा जा सकता है कि यह गुफा मौर्यकालीन ही है।
- इन गुफाओं में लिखें शिलालेखों से पता चलता है कि इसका का निर्माण सम्राट अशोक और उनके पोते दशरथ के शासनकल के दौरान किया गया था।
क्या है बराबर की गुफाओं का मुख्य आकर्षण?
इन गुफाओं की छत और दीवारों पर उच्च स्तरीय पॉलिश देखी जा सकती है। माना जाता है कि, यह पॉलिश अशोक स्तंभो पर पायी जानेवाली पॉलिश के समान है। पर उनपर पायी गयी पॉलिश की तुलना में इन गुफाओं की आंतरिक सतहों पर पायी गयी पॉलिश क कहीं ज्यादा अच्छी है जो कि इन गुफाओं का मुख्य आकर्षण है। जब आप इन गुफाओं की दीवारों पर हाथ फेरते हैं, तो लगता है जैसे उन्हें कल ही पॉलिश किया गया हो। यह पॉलिश एकदम नयी सी लगती है। इसे देखकर आपके लिए यह मानना मुश्किल सा हो जाता है कि, ये गुफाएँ 2400 साल पुरानी हैं। आज भी इन गुफाओं के दीवारें शीशे के समान चमकती है, यहां तक कि इन दीवारों में अपना चेहरा भी देखा जा सकता है। जब आप इन गुफाओं के गोलाकार चैत्य भाग को देखेंगे तो बड़ी हैरानी होगी कि कारीगरों ने इतनी बड़ी चट्टान को काटकर, उसे तराशकर इतना अच्छा और सुंदर गुबंद न जाने कैसे बनाया होगा।
बराबर की गुफाएं क्यों बनवाई गई थी?
इन गुफाओं का प्रयोग विविध संप्रदायों जैसे – बौद्ध संप्रदाय, आजीविका संप्रदाय और जैन संप्रदाय,के संन्यासियों द्वारा होता था। ये संन्यासी वर्षा ऋतु के दौरान इन्हीं गुफाओं में आश्रय लेते थे। लेकिन इन गुफाओं में मिले अशोक के शिलालेख के अनुसार यह गुफा मुख्य रूप से आजीवकों के लिए बनाया गया था जिसे अपने शासन के वर्षगांठ पर सम्राट अशोक ने आजीवक संप्रदाय को उपहार दिया था।
बराबर की गुफाओं में कौन-कौन सी गुफाएं हैं?
बराबर पहाड़ी में हैं ये चार गुफाएं...
- लोमस ऋषि गुफा
- सुदामा गुफा
- करण चौपर
- विश्व जोपरी
नागार्जुन की पहाड़ी में हैं ये तीन गुफाएं...
- गोपी गुफा
- भायक गुफा
- वैदंतिका गुफा
बराबर की गुफाओं तक कैसे पहुंचे?
- फ्लाइट के माध्यम से - बराबर की गुफाओं से सबसे नजदीकी बोध गया अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट है जो 42 किमी दूर है। जबकि यहां से पटना एयरपोर्ट की दूरी 85 किमी है। डोमेस्टिक एयरपोर्ट होने के बावजूद आपको गया से कोलम्बो और बैंकॉक या अन्य देशों के लिए फ्लाइट्स मिल जाएंगी।
- ट्रेन के माध्यम से - बराबर गुफाओं से सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है बेला है, जो यहां से 15 किमी की दूरी पर है। जबकि गया स्टेशन की दूरी 30 किमी और पटना रेलवे स्टेशन से करीब 80 किमी है।
- सड़क के माध्यम से - बोधगया से बराबर गुफाएं 42 किमी दूर है यहां पहुंचने के लिए आपको आसानी से अपनी निजी वाहनों से भी बराबर की गुफाओं तक पहुंच सकते और अपने गंतव्य स्थान के लिए लौट भी सकते हैं।
बराबर की गुफाओं का दर्शन के लिए उपयुक्त समय क्या है?
- वैसे तो यहां सालों भर हर मौसम में टूरिस्ट आते रहते हैं लेकिन बिहार के गया जिले में अत्याधिक गर्मी और अत्याधिक सर्दी पड़ने के कारण अगस्त से लेकर नवंबर और फरवरी से लेकर अप्रैल तक का समय सबसे बेहतर हो सकता है।
- बराबर की पहाड़ी पर भगवान शिव का मंदिर है जिसे बाबा सिद्ध नाथ मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इसलिए यहां सावन के महीने में कावरियों की असीम श्रद्धा से जल अर्पण के लिए यहां भी देवघर सा मेला लगा रहता है।
- प्रत्येक सोमवर को भी यहां काफी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
- फैमिली और फ्रेंड्स के साथ छुट्टियां बिताने, पिकनिक मनाने या प्रकृति के नजारा देखने काफी संख्या में लोग हमेशा आते रहते हैं।
Hello friends.
In this post today, I am going to discuss about a place which is globally famous for its identity and charm. This place, which holds many mysteries of ancient history and mythological beliefs, is still present today.
Since ancient times, there have been more than one heritage on the land of Magadha. One of these is the Barabar Caves, which are a unique confluence of natural and historical heritage. Barbar caves are known for mountain and forest as well as medicinal plants, but Barabar Caves are mainly world famous for the only Man-made cave in the world.
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Why are Barabar caves famous?
It is the only the Man-made ancient cave in the world, which was built in the third century BC by cutting the rocks of the mountain, which is an early example of the ancient architectural art of cave construction in the world. The roof domes of the caves and latticework are visible at the main gate is a testimony to early architectural art. The Barabar caves belong to the Buddhist, Jain and Aajeevak sect. This cave is about 2500 years old. Thousands of tourists come from all over the country and abroad to see these caves.
Where are the Barabar caves?
These caves are located in the Jehanabad district of Bihar state in India, at a distance of about 42 kilometers from Lord Buddha's land, Bodh Gaya. These caves have been carved out of the granite rocks of the mountain, which are the oldest and only man-made caves in the world. Most of these caves belong to the Mauryan period (322–185 BCE). In some of these caves, Ashoka's inscriptions can still be seen in exact form.
How is the design style of Barabar caves?
- There are two chambers in each cave.The first chamber was designed to be a rectangular hall with the intention of gathering worshipers,
- and the second was a small, circular, domed room for worship, meditating or saints being an important place to do penance.
These are the earliest examples of rock cut caves architecture in India. These caves are located in Barabar hills are known as Sudama, Karna, Lomace Rishi and Vishwa Hut. Among these, the caves of Sage Sudama and Lomace are chaitya halls and the cave of Karna is a dwelling house.
Who built Barabar caves?
- These equivalent caves contain architectural details built in the Mauryan period.
- Abundant marking of elephants can be seen in Mauryan architecture and sculpture.
- Among the Barabar caves, elephants are also seen at the main entrance of Lomus Rishi Cave, which can be said that this cave is Mauryan itself. Inscriptions written in these caves reveal that it was built during the reign of Emperor Ashoka and his grandson Dasharatha.
What is the main attraction of Barabar caves?
High level polish can be seen on the roof and walls of these caves. It is believed that this polish is similar to the one found on Ashoka pillars. But the polish found on the internal surfaces of these caves is much better than the polish found on them, which is the main attraction of these caves. When you touch the walls of these caves, it seems as if they were polished yesterday. This polish looks very new. Seeing this, it becomes difficult for you to believe that these caves are 2400 years old. Even today, the walls of these caves shine like glass, even your face can be seen in these walls. When you see the circular chaitya part of these caves, it would be astonishing how the artisans would have made such a nice and beautiful dome by cutting such a huge rock, carving it.
Why were Barabar caves built?
These caves were used by ascetics of various sects such as the Buddhist sect, the Aajeevika sect and the Jain sect. These ascetics took shelter in these caves during the rainy season. But according to the inscription of Ashoka found in these caves, this cave was mainly built for livelihood which was gifted to Emperor Ashoka by the Emperor Ashoka on the anniversary of his rule.
Which caves are in Barabar caves?
These four caves are in the Barabar hill ...
- Lomus Sage Cave
- Sudama Cave
- Karan Chopper
- World Jopri
These three caves are in the Nagarjuna hill ...
- Gopi Cave
- Bhayak Cave
- Vaidantika Cave
How to reach Barabar caves?
- Through Flight - The closest to Barabar caves is Bodh Gaya International Airport which is 42 km away. While the distance from here to Patna Airport is 85 km. Despite being a domestic airport, you will get flights from Gaya to Colombo and Bangkok or other countries.
- By Train - Belaganj is the nearest railway station from the Barabar caves, which is at a distance of 15 km from here. While the distance of Gaya station is 30 km and about 80 km from Patna railway station.
- By Road - Barabar caves are 42 km away from Bodh Gaya. To reach here you can easily reach Barabar caves with your private vehicles and also return to your destination.
What is the appropriate time to visit the Barabar caves?
- Although tourists keep coming here in all seasons throughout the year, but due to extreme heat and extreme cold in Gaya district of Bihar, the time from August to November and February to April may be the best.
- There is a temple of Lord Shiva on Brabar hill, also known as Baba Siddha Nath Temple. Therefore, in the month of Saavan, there is a fair like Devghar here to offer water with the devotion of the Kaavaris.
- A large number of devotees visit here every Monday.
- A large number of people always come to spend holidays with family and friends, to have a picnic or to see nature's views.
I have visited Barabar caves. It was really amazing place. I was surprised to seen this.
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